प्रोफेसर और लेक्चरर में क्या अंतर होता है?

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आप अगर कॉलेज में पढ़ते है तो आपने प्रोफेसर और लेक्चरर का नाम सुना ही होगा। पर फिर भी आपको उनमें अंतर नहीं पता चल पाता होगा। इन दोनों का ही काम शिक्षा वाले डिपार्टमेंट में ही होता है। तो अगर आपको दोनो के बीच अंतर जानना है तो आप सही लेख पर आए हैं। इस पोस्ट में हमने आपको प्रोफेसर और लेक्चरर में क्या अंतर होता है? वह बताने की पूरी कोशिश की है। हम आशा करते हैं कि आप पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ेंगे।

प्रोफेसर और लेक्चरर में क्या अंतर होता है?

लेक्चरर किसे कहते हैं ?

लेक्चरर टीचर का वो पद होता है जो उन्हे प्राप्त होती है जिन्होंने हाल ही कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अभी अंडरग्रेजुएट कर रहे स्टूडेंट को पढ़ाना शुरू किया है। यह लेक्चरर पार्ट टाइम और फुल टाइम में पढ़ा सकते है। लेक्चरर वो टीचर होते है जो रिसर्च कर रहे स्टूडेंट की सहायता करते है। उनके पास या तो काफी कम जिम्मेदारी होती है या बिल्कुल भी नही होती हैं। यह Lecturer मुख्य तौर पर किसी एक विषय पर पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट को लेक्चर देते है। इसके कुछ साल बाद लेक्चरर से सीनियर लेक्चरर बन सकते है। यह सीनियर लेक्चरर की पोजिशन प्रोफेसर से नीचे की होती है।

Lecturer को क्या काम करने होते है?

●     लेक्चरर क्लास, वर्कशॉप और अलग -अलग तरह के कोर्स में होने वाले इवेंट को लीड करता है।

●     Seminars को ऑर्गेनाइज करना लेक्चरर के लिए सबसे जरूरी काम होता है।

प्रोफेसर किसे कहते हैं ?

एक प्रोफेसर सीनियर एकेडमिक के पद को कहा जाता है। जिन्हे अनगिनत सालो का टीचिंग का अनुभव होता है। यह प्रोफेसर को केवल अधिक एक्सपीरियंस ही नही बल्कि उन्हें अपने सब्जेक्ट के अंदर रिसर्च भी की होती है। जिससे आपको PHD की डिग्री भी प्राप्त होती है। अगर आपके पास कोई रिसर्च पेपर नही है तो आप Assistant Professor के पद पर काम करते है।

Assistant Professor से प्रोफेसर बनने के लिए आपको 5 से 7 साल तक पढ़ाना होता है। जब आप इतने साल Assistant Professor के तौर पर काम कर लेते है तो उसके बाद Professor के पर पर नियुक्ति प्राप्त कर पाते है।

Professor को क्या काम करने होते है?

  • Syllabus बनाना होता है, review paper और अन्य auditing के काम करने होते है।
  • दोनो ही कोर्स के स्टूडेंट चाहे फिर वो अंडरग्रेजुएट के स्टूडेंट हो या फिर ग्रेजुएट के।
  • एडमिनिस्ट्रेशन और कमिटी के काम में हिस्सा लेना होता है।
  • आपको अपने सब्जेक्ट का scope of course को हर सेमेस्टर में बनाना होता है।

प्रोफेसर और लेक्चरर में क्या अंतर होता है?

QualityProfessorLecturer
Rankटीचिंग की फील्ड में यह सबसे ऊपर का पद होता है।जब आप टीचिंग के फील्ड में पढ़ना शुरू करते है। तो आपको लेक्चरर का पद प्राप्त होता है।
Studentsप्रोफेसर दोनो ही स्टूडेंट्स चाहे फिर वो अंडरग्रेजुएट के हो या ग्रेजुएट के दोनो को पढ़ाते है।वही लेक्चरर के पद पर आप केवल अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट को ही पढ़ाते है।
Dutiesआपको सिलेब्स और अन्य चीजे को बनाना होता है।आपका मुख्य काम स्टूडेंट को पढ़ाने का होता है।
ExperienceProfessor के पास अधिक सालो का अनुभव होता है।लेक्चरर अधिकांश तौर पर बिल्कुल नए ही होते है।
TenureProfessor मुख्य तौर अपने सब्जेक्ट की पूरी शिक्षा को प्राप्त कर लेते है।लेक्चरर के पास कोई पोजिशन नही होता है।
Salaryआपको लेक्चरर से काफी अधिक सैलरी प्राप्त होती है।लेक्चरर को प्रोफेसर से काफी कम सैलरी प्राप्त होती है।

Professor vs Lecturer

On the Basis of Responsibility

लेक्चरर और प्रोफेसर एक ही इंस्टीट्यूट में अलग अलग पद पर रहते है। आम तौर पर लेक्चरर इंस्टीट्यूट या कॉलेज में पार्ट टाइम पढ़ाना शुरू करते है। पढ़ाने के साथ साथ लेक्चरर रिसर्च भी करते है। जब आपको कुछ साल हो लेक्चरर के रूप में हो जाते है। उसके बाद ही आप प्रोफेसर के पद नियुक्ति प्राप्त कर सकते है। अधिकांश प्रोफेसर का मुख्य गोल यूनिवर्सिटी में पढ़ाने का ही होता है। अपने प्रोफेसर के पद पर काम करने के लिए आपको रिसर्च पेपर भी पब्लिश करना होता है।

On the Basis of Rank

Lecturer और प्रोफेसर किसी भी इंस्टीट्यूट में एक ही समय एक ही डिपार्टमेंट में काम करते है। लेक्चरर किसी भी इंस्टीट्यूट में टीचिंग के सबसे नीचे पद पर पढ़ाने वाले व्यक्ति को टर्म करने के लिए किया जाता है। लेक्चरर का पद उन लोगो के लिए होता है जिनके नाम पर कोई भी रिसर्च या पब्लिश पेपर नही होता है। वही प्रोफेसर की बात करे तो किसी भी डिपार्टमेंट में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। प्रोफेसर के पद पर आपको अपने सब्जेक्ट का सिलेब्स, कोर्स का ओवरव्यू और अन्य रिसर्च और पब्लिश वर्क करना होता है।

On the Basis of Salary

भारत में लेक्चरर की स्टार्टिंग सैलरी इंस्टीट्यूट और आपके एक्सपीरियंस पर निर्भर होती है। अगर आप लेक्चरर के पद पर बिलकुल नए है तो आपको प्रति महीने 40 हजार रुपए की सैलरी प्राप्त होती है। वही अगर आप प्रोफेसर की सैलरी की बात करे तो इनकी शुरुवाती सैलरी 65 हजार प्रति महीने से अधिक होती है। जो समय के साथ साथ बढ़ती जाती रहती है।

On the Basis of Students and Classes

आम तौर देखा जाता है कि अंडरग्रेजुएट के स्टूडेंट को अधिकांश तौर पर लेक्चरर के द्वारा ही पढ़ाया जाता है। वही मास्टर्स के स्टूडेंट को लेक्चरर और प्रोफेसर दोनो के द्वारा ही पढ़ाया जाता हैं। लेक्चरर अधिकांश तौर पर क्लास लेने और अन्य टीचिंग से जुड़े काम करते है। वही प्रोफेसर की बात करे तो प्रोफ़ेसर मुख्य तौर पर रिसर्च और उससे जुड़े कार्य करने के लिए होते है।

निष्कर्ष

आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको प्रोफेसर और लेक्चरर में क्या अंतर होता है? के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करने का प्रयास करेंगे। उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपके मन में इस विषय से संबंधित कोई भी सवाल आता है तो आप हमसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में संपर्क कर सकते है। धन्यवाद!

F.A.Q.

लेक्चरर और प्रोफेसर में किसकी सैलरी अधिक होती है?

आप जब लेक्चरर और प्रोफेसर की सैलरी की तुलना करते है तो प्रोफेसर की सैलरी लेक्चरर से काफी अधिक होती है। अगर लेक्चरर की सैलरी प्रति महीने 40 हजार रूपए है तो तो प्रोफेसर की सैलरी 60 हजार रुपए प्रति महीने होती है।

लेक्चरर और प्रोफेसर में किसकी अधिक एक्सपीरियंस होता है?

आप अनुभव के आधार पर देखे तो लेक्चरर की तुलना में प्रोफेसर को टीचिंग का अधिक अनुभव होता है। जब आपको लेक्चरर के पद पर 3 से 4 साल का अनुभव और आपके नाम पर कोई पेपर पब्लिश होता है तो उसके बाद ही आप प्रोफेसर बन सकते है। किसी भी टीचिंग के फील्ड में प्रोफेसर हेड ऑफ डिपार्टमेंट के बाद दूसरी सबसे बड़ी पोस्ट होता है।

लेक्चरर और प्रोफेसर में से आप पहले क्या बनते है?

जब आप टीचिंग के फील्ड में आते है तो आप सबसे पहले लेक्चरर ही बनते है। उसके बाद आपको काफी साल लेक्चरर के पद पर ही रहना होता है। जिसके बाद आपको प्रोफेसर के पद नियुक्ति प्राप्त करने के लिए एक रिसर्च पेपर या रिव्यू पेपर होना अनिवार्य हैं।

प्रोफेसर बनने से पहले आप क्या क्या पद पर काम करते है?

जब आप टीचिंग की फील्ड में आते है तो आप पहले लेक्चरर बनते है, उसके बाद आप सीनियर लेक्चरर, असिस्टेंट प्रोफेसर और उसके बाद अंत में आप प्रोफेसर बनते है।

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