अगर आप ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स हो या फिर ऑटोमोबाइल के बारे मे सीखना चाहते हो तो इस पोस्ट में आपको पूरी ऑटोमोबाइल थ्योरी इन हिन्दी में हमने explains किया है जो की आपके लिए काफी सहायक हो सकती है ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग सीखने में, यह एक प्रकार का कोर्स है जहाँ आपको सभी ऑटोमोबाइल पार्ट्स और उसके function के बारे मे हम आपको बताने वाले है तो अगर आप भी जानना चाहते हो ऑटोमोबाइल थ्योरी इन हिन्दी मे तो इस आर्टिकल को पूरा ध्यान से जरूर पढ़े।
ऑटोमोबाइल थ्योरी इन हिंदी ,automobile engineering course in hindi
ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग क्या है
Automobile दो शब्दों से मिलकर बना है auto + mobile इसका हिंदी मे मतलब होता है स्वचालित ,जो अपने आप चल सकता है। Automobile इंजीनियरिंग क्या है, Automobile इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की एक ब्रांच है जिसमें वीइकल तकनीकी, पार्ट्स डिजाइन, manufactuting और उनके कार्य के बारे मे बताया जाता है। सरल शब्दों मे कहे तो ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग मे स्वचालित वाहन जेसे कार, बाइक, बस, ट्रक कैसे कार्य करते है और कैसे बनाए जाते है इसके बारे मे सिखाया जाता है।
ऑटोमोबाइल इंजीनियर कैसे बने
Automobile engineering सीखने के आप 10th और 12th के बाद mechanical brach से डिप्लोमा कोर्स (Poly) कर सकते हो या आईटीआई से मोटर mechanic का कोर्स कर कर सकते हो, अगर आप Automobile से डिग्री लेना चाहते हो तो आप automobile engineering से btech,mtech कर सकते हो और उसके बाद किसी Automobile कंपनी में एक engineer के तोर पर कार्य कर सकते हो। अगर आप सिर्फ Automobile का कार्य सीखना चाहते हो तो आप किसी मोटर गेराज से काम सीख सकते हो ज़्यदा जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़े – मोटर मैकेनिक कैसे बने . चलिए अब जानते है ऑटोमोबाइल थ्योरी इन हिन्दी मे (automobile theory in hindi)।
ऑटोमोबाइल के मुख्य पार्ट्स और उनके कार्य
दोस्तो अब हम जानने वाले है ऑटोमोबाइल के पार्ट्स और उनके कार्य के बारे मे तो चलिए जानते है।
ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग को आप हमारे शरीर की तरह समझ सकते हो जेसे हमारे शरीर को चलाने के लिये धड़कन होती है वैसे ही गाड़ी मे उसका धड़कन इंजन होता है जो उसको चलाता है तो सबसे पहले जानते है इंजन के बारे मे –
इंजन क्या होता है
इंजन ऑटोमोबाइल का एक पार्ट्स होता है जो केमिकल एनर्जी को mechanical एनर्जी में बदल देता है जिस कारण हमारी गाड़ी मूव होती है मतलब एक जगह से दूसरी जगह तक जा सकती है। सरल शब्दों मे कहे तो इंजन गाड़ी का हार्ट होता है तो पूरी गाड़ी के function को ऊर्जा प्रदान कर्ता है। इंजन कई अलग अलग पार्ट्स से मिलकर बना होता है। मुख्यतः इंजन में फ्यूल का उपयोग किया जाता जो इंजन के अंदर हीट एनर्जी को बनाता है और इंजन हीट एनर्जी को mechanical एनर्जी में बदल देता है। इंजन में इनपुट केमिकल एनर्जी (फ्यूल, पेट्रोल, डीजल) होता है और output mechanical एनर्जी मतलब मोशन होता है।
इंजन कैसे बनता है जानिए पूरी प्रोसेस
इंजन मुख्यतः तीन प्रकार के होते है।
internal combustion engine
internal combustion engine मे combustion मतलब fuel का जलना, इंजन के अंदर combustion chamber मे होता है इसलिए इसे internal combustion engine (IC ) कहते है। आज ज्यादातर internal combustion engine का ही उपयोग किया है जेसे कार, ट्रक, बस ट्रेन आदि। internal combustion engine दो प्रकार के होते है टू स्टॉक और फॉर स्टॉक इंजन ,टू स्टॉक इंजन ज्यादातर बाइक, स्कूटर और four स्टॉक इंजन बड़े वाहन जेसे कार, बस और ट्रक आदि में उपयोग होता है।
टू स्टॉक और फॉर स्टॉक इंजन में अंतर
मुख्य डिफरेंस टू स्टॉक और फोर स्टॉक इंजन में स्टॉक का होता है। यहाँ पर स्टॉक मतलब पिस्टन का TDC से BDC तक मूवमेंट एक स्टॉक कहा जाता है। TDC (Top dead center) TDC cylinder का सबसे टॉप वाला हिस्सा होता है जहां तक Piston पहुंच पाता है। BDC (Bottom dead center) यह cylinder का सबसे निचला हिस्सा होता है जहां तक पिस्टन मूवमेंट करता है। इंजन के अंदर पॉवर जनरेट 4 स्टेप में पूरा होता है पहला होता है सक्शन स्टॉक – इसमें पिस्टन द्वारा सिलिंडर के अंदर हवा और फ्यूल को खिंचा जाता है। दूसरा स्टेप होता है कम्प्रेशन – इसमें हवा और फ्यूल को कंप्रेस किया जाता है। तीसरा स्टेप होता है पावर स्टॉक – इसमें स्पार्क प्लग की मदद से कंप्रेस्ड हवा और फ्यूल को ब्लास्ट किया जाता है जिससे पावर जेनरेट होती है। चौथा स्टेप होता है – एक्सहोस्ट इसमें जली हुई गैस को सिलिंडर के अंदर से बाहर फेंका जाता है।
टू स्टॉक इंजन में पावर जनरेशन के 4 स्टेप पिस्टन के दो मूवमेंट मतलब स्टॉक में ही पूरा होता है। वंही फोर स्टॉक इंजन में पावर जनरेशन के 4 स्टेप पिस्टन के चार स्टॉक में पूरा होता है। टू स्टॉक इंजन में जब पिस्टन का दो स्टॉक पूरा होता है तब क्रैंकशॉप्ट का एक चक्कर पूरा होता है। फोर स्टॉक इंजन में जब पिस्टन के चार स्टॉक पूरा होता है तब क्रैंकशॉप्ट का 2 चक्कर पूरा होता है। टू स्टॉक इंजन में ज़्यदा साउंड आता है जबकि फोर स्टॉक इंजन में टू स्टॉक के मुकाबले कम साउंड आता है।
external combustion engine
external combustion engine मे combustion इंजन के बाहर होता है मतलब combustion , combustion chamber के बाहर होता है । जेसे भाप इंजन जो पहले के ज़माने में ट्रेन में उपयोग होते थे। भाप इंजन में एक भट्टी होती है जिसमें कोयले को जलाया जाता है भट्टी के ऊपर वाटर टंकी होता है जिसमें पानी को गर्म करके भाप में परिवर्तित किया जाता है इसके बाद भाप को पाइप की मदद से cylinder chamber तक पहुंचाया जाता है भाप के pressure के कारण Piston TDC से BDC movement करता है इस प्रकार यह इंजन कार्य करता है।
Reaction engine
तीसरे प्रकार का रिएक्शन टाइप इंजन होते है इन्हें अक्सर जेट इंजन भी कहते है इनका कार्य करने का principle न्यूटन के तीसरे नियम पर आधारित होता है इसमें जितना बल आप किसी पर आगे को धकेलने के लिए लगाते हो उतना ही बल पीछे की तरफ़ भी लगता है जेसे उदाहरण के लिये swimming करना, swimming करते समय जितना बल आप हाथो से पानी को पीछे धकेलने में लगाते हो उतना ही आप आगे की तरफ़ जाते हो, ठीक इसी प्रकार यह इंजन भी कार्य कर्ता है।
internal combustion engine के मुख्य पार्ट्स
दोस्तो ज्यादातर ऑटोमोबाइल में IC इंजन का ही उपयोग किया जाता है इसलिए इस आर्टिकल में IC के बारे मे ही आपको बताने वाले है।
IC इंजन दो प्रकार के होते हैं पहला होता है spark ignition (पेट्रोल इंजन) और दूसरा होता है compression ignition (डीजल इंजन) , SI और CI इंजन फ्यूल और ignition का फर्क़ होता वर्किंग प्रोसेस similar होता है।
difference between पेट्रोल (sparki gnition) और डीजल इंजन (compression ignition)
पेट्रोल इंजन जिसे spark ignition इंजन भी कहते। स्पार्क ignition engine इसलिए कहते है क्योंकि इसमें फ्यूल को combustion करने के लिए स्पार्क plug की ज़रूरत पड़ती हैं क्योंकि पेट्रोल इंजन का compression ratio कम होता इस कारण इसका compression temrature भी कम होता इसलिए इसको स्पार्क plug की जरूरत पड़ती है।
पेट्रोल इंजन में फ्यूल और हवा का mixture एक साथ इंजन में भेजा जाता है। पेट्रोल और हवा को cylinder के अंदर compress होने के बाद स्पार्क plug की मदद से ब्लास्ट किया जाता है।
डीज़ल इंजन जिसे compression ignition इंजन भी कहते हैं इसमें फ्यूल combustion करने के लिए स्पार्क plug की ज़रूरत नहीं होती है क्योंकि डीज़ल का compression ratio ज्यादा होता है इस कारण इसमें compression temperature ज्यादा होता है इसलिए यह खुद ही ignite हो जाता है।
डीज़ल इंजन में पहले हवा को compress किया जाता है उसके बाद डीजल को injector की मदद से inject किया जाता हैं compress हवा गरम होने के कारण डीजल को आसानी से जला देती है।
पेट्रोल और डीजल इंजन में अन्तर
ic engine ke parts ,इंजन के मुख्य पार्ट्स और उनके कार्य
इंजन head और ब्लॉक
दोस्तों इंजन के सामन्यत दो भाग होते हैं जो ऊपर वाला भाग होता है उसे इंजन हेड और नीचे वाले भाग को इंजन ब्लॉक कहते है इसमें इंजन cylinder और Piston आदि होते है ।इंजन हेड में valve, injector, spark plug आदि चीजे जुड़ी होती है यह bolt की मदद से इंजन ब्लॉक से जुड़ा रहता है। इंजन ब्लॉक में cylinder bore के बीच मे और साइड से कुछ खोखला स्थान रहता जिसे वाटर jeket कहते इसके बीच से coolent circulation होता जो इंजन के तापमान को स्थिर बनाए रखता है। इंजन हेड और ब्लॉक सामान्यत cast iron और अल्यूमीनियम alloy के बने होते है।
इंजन cylinder एंड Piston
इंजन एक cylinder, दो cylinder या multi cylinder हो सकते है । cylinder इंजन के ब्लॉक में स्थित होते हैं इसे सिलेंडर ब्लॉक भी कहा जाता है। इसके चारों ओर एक लाइनर या sleeve होता है। लाइनर के अंदर Piston को installed किया जाता है Piston के up down movement के कारण अगर लाइनर घिस जाता है या खराब हो जाता है तो इसे आसानी से बदला जा सकता है।
Piston एक cylindercal टाइप का पार्ट्स होता है जो cylinder के बीच combustion cycle को complete करने मे मदद करता है और forse के कारण Piston cylinder के अंदर up और down movement करता है। Piston का निचला हिस्सा crank shaft से जुड़ा होता है Piston के up डाउन movement के कारण ही cranks shaft rotate होती है। Piston में तीन रिंग होती है जिनको Piston रिंग भी कहा जाता है इनमे से दो रिंग compression रिंग और एक ऑइल रिंग होती है।
Crank shaft
crank shaft engine block के निचले हिस्से मे स्थित रहता है इस हिस्से को crank case भी कहते हैं। crankshaft connecting rod की मदद से Piston से जुड़ा रहता इस कारण यह Piston के cylindercal मोशन को यह rotatory मोशन में बदल देता है । क्रैंक शाफ़्ट की मदद से ही इंजन की पावर आगे ट्रांसफर होती है।
connecting rod
Piston और crankshaft को जोड़ने के लिये connecting rod का उपयोग किया जाता है इसका एक छोर Piston से Piston pin or gudgeon pin की मदद से जुड़ा रहता है। इसका दूसरा छोर crankshaft के journal से bearing के साथ nut bolt की मदद से जुड़ा रहता है।
कनेक्टिंग रॉड आमतौर पर forged स्टील से और कभी-कभी एल्यूमीनियम मिश्र धातु से बनाई जाती है जब हल्के और उच्च प्रभाव को अवशोषित करने की क्षमता को प्राथमिकता दी जाती है। कनेक्टिंग रॉड उच्च स्तर की सटीकता के साथ निर्मित होती है क्योंकि यह एक संवेदनशील हिस्सा होता है।
cam shaft
cam साफ्ट अक्सर इंजन के हेड में फिट होती है इसका मुख्य कार्य इंजन valve को कंट्रोल करना होता है। cam shaft के साथ rockar arm, tapped or pushrod assembly होती है। cam shaft टाइमिंग gear की मदद से crankshaft से जुड़ा होता है। इंजन firing ऑर्डर के अनुसार cam साफ्ट की टाइमिंग सेट की जाती है।
इंजन valve
यह आगे से छतरी type और पीछे से एक रोड के आकार की होती है इसका मुख्य काम intake और exhaust की प्रोसेस को कंट्रोल करना होता है। valve cam shaft की मदद से open और close होते है। इनमे inlet valve air or fuel को इंजन cylinder के अंदर भेजता है और outlet valve exhaust gas को बाहर छोड़ता है। यह स्टील alloy के बने होते है।
oil sump or oil pump
ऑइल sump इंजन के सबसे नीचे साइड लगा रहता है जो ऑइल को स्टोर और फिल्टर करके पम्प की मदद से इंजन के अलग अलग भागों में भेजता है। ऑइल पम्प crankshaft की मदद से चलता है इंजन में ऑइल pump’s के बाद एक ऑइल कूलर भी लगा होता है जो ऑइल को ठंडा करने का कार्य कर्ता है।
स्पार्क प्लग
इसका उपयोग स्पार्क इग्निशन इंजन (पेट्रोल इंजन) में किया जाता है। स्पार्क plug का मुख्य कार्य फ्यूल और एयर के compression के बाद उसको स्पार्क के जरिए जलाना होता है। इसे सिलेंडर हेड पर लगाया जाता है। स्पार्क प्लग में एक धातु का खोल होता है जिसमें दो इलेक्ट्रोड होते हैं जो करंट फ्लो होने पर स्पार्क जेनरेट करते है।
injectors
injector का मुख्य कार्य फ्यूल को cylinder के अन्दर inject करना होता है यह इंजन हेड में माउंट होता और यह compression ignition इंजन में उपयोग होता है। फ्यूल को सिलिंडर चैम्बर के अंदर स्प्रे फोम में इंजेक्ट करने के लिए इंजेक्टर में फ्यूल का काफी हाई प्रेशर रहता है।
Automobile के अन्य पार्ट्स
flywheel
fly wheel इंजन और क्लच के बीच मे स्थित होता इसका मुख्य कार्य इंजन को शुरुआती torque प्रदान करना होता है और यह स्टार्टर motor से जुड़ा रहता है स्टार्टर मोटर flywheel को rotate करता है और flywheel crankshaft को।
कार्बोरेटर
कार्बोरेटर ऑटोमोबाइल इंजन का दिल होता है। carburetor का उपयोग टू व्हीलर या पेट्रोल इंजन में किया जाता है यह फ्यूल और एयर का एक अनुपात में मिक्सर बना कर इंजन में भेजता है।
टाइमिंग बेल्ट
टाइमिंग बेल्ट crankshaft की मदद से cam shaft ,rockar arm, वाटर pump और इंजन fan को drive देता है। यह valve टाइमिंग के हिसाब से crankshaft से जोड़ा जाता है। टाइमिंग बेल्ट हेवी ड्यूटी रबर से बनायी जाती है इसके अन्दर साइड से gear teeth होते हैं जो टाइमिंग gear pully से connected होते है।
sensors
आज कल के इंजन में आपको अलग अलग प्रकार के sensor मिल जायेंगे। इनमे से इंजन स्पीड sensor ,इंजन temperature sensor, coolant temperature sensor आदि होते है। सेंसर ECU (electronic control unit) को डेटा भेजता है।
turbocharger
turbocharger इंजन में एयर की मात्रा को बेहतर बनाने के लिये किया जाता है। इसमें दो टर्बाइन wheel होते है जिसमें एक साइड वाला wheel exhaust gas के फोर्स से rotate होता और exhaust gas को बाहर फेंकता है दूसरा साइड का wheel एयर को खिंचता है और intake manifold में पहुंचता है यहां से इंजन Piston की मदद से एयर को combustion chamber में खिंचता है।
फ्यूल injection पम्प (FIP)
FIP का उपयोग मुख्यतः डीजल इंजन में किया है FIP फ्यूल को pressurize करके injector या crs को भेजता है जिससे फ्यूल अच्छे से एयर के साथ मिक्सर बना सके। CRS का मतलब commen rail सिस्टम होता है इसका कार्य हाई pressure को hold करना होता है यह FIP और injector के बीच मे लगा होता है।
radiator systems
रेडिएटर सिस्टम का मुख्य कार्य इंजन के तापमान को स्थिर रखना होता है। जब इंजन का तापमान 80 डग्री से ज़्यदा होता है जब इंजन का कूलैंट रेडियेटर से होकर गुजरता है। रेडियेटर गर्म कूलैंट को ठंडा करके इंजन में भेजता है जिससे इंजन का तापमान स्थिर रहता है।
transmission systems
दोस्तो इंजन के बाद transmission system गाड़ी में मुख्य भूमिका निभाता है जो इंजन की पावर को ट्रांसफर करता है। इसमें gearbox , clutch , axle आदि मुख्य पार्ट्स होते है।
gearbox (गियर बॉक्स)
gearbox का उपयोग गाड़ी में इच्छानुसार torque (ताकत) और स्पीड (गति) पाने के लिए किया जाता है। इसमें विभिन्न gear होते है जो अलग अलग स्पीड और torque देने का कार्य कर्ता है।
क्लच (clutch)
क्लच इंजन और gearbox के बीच स्थित होता है जो इंजन की power को gearbox तक भेजने और रोकने का कार्य करता है । क्लच का मुख्य कार्य gear shifting को आसान बनाना होता है।
Axle
axle मुख्य तय दो प्रकार के होते है front axle or rear axle ,जो गाड़ी में आगे लगा होता है उसे front axle कहते हैं और जो पीछे की तरफ लगा होता है उसे रियर axle कहते है। front axle गाड़ी को दिशा प्रदान करता है और रियर axle इंजन की पावर को गाड़ी के टायर तक पहुंचाता है और साथ में axle का काम लोड कैर्री करना भी होता है।
सस्पेंसन सिस्टम
सस्पेंसन सिस्टम का कार्य ऊपर निचे वाली सतह पर गाड़ी को स्थिर बनाये रखना होता है और सॉक और वाइब्रेशन को कम करना होता है। या हम कह सकते है की सस्पेंशन का कार्य गाड़ी में बैठे सवारी को आराम दायक सफर कराना होता है।
फ्यूल सिस्टम
फ्यूल सिस्टम में फ्यूल को टैंक से लेकर इंजन तक पहुंचने में जो कॉम्पोनेन्ट उपयोग होते है वे सभी आते हैं। जैसे फ्यूल फ़िल्टर ,फ्यूल पंप ,CRS और इंजेक्टर।
अल्टरनेटर
अल्टरनेटर का कार्य बिजली उत्पन करना होता है अल्टरनेटर की ही मदद से गाड़ी में बैटरी चार्ज होती है और हम गाड़ी में लाइट और म्यूजिक सिस्टम को चला पता है।
निष्कर्ष (final words)
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने बेसिक ऑटोमोबाइल थ्योरी के बारे में आपको बताया है। ऑटोमोबाइल के प्रत्येक सिस्टम को हमने डिटेल्स में अन्य पोस्ट में बताया है अगर आपको डिटेल्स में जानना है तो आप उन पोस्ट को भी पढ़ सकते हो। इस पोस्ट को लेकर अगर आपके कोई सवाल और सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर पूछे हम आपके कमेंट का जरूर रीप्ले करने की कोशिस करिंगे।
ऑटोमोबाइल का मतलब क्या होता है?
ऑटोमोबाइल दो शब्दों से मिलकर बना है auto + mobile इसका हिंदी मे मतलब होता है स्वचालित ,जो अपने आप चल सकता है। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की एक ब्रांच है जिसमें वीइकल तकनीकी, पार्ट्स डिजाइन, manufactuting और उनके कार्य के बारे मे बताया जाता है।
ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की सैलरी कितनी होती है?
इंडिया में एक डिप्लोमा होल्डर ऑटोमोबाइल इंजीनियर को शुरुआत में 15 हजार तक सेलरी मिल जाती है वंही एक btech होल्डर इंजीनियर को शुरुआत में 40 हजार तक सेलरी मिल जाती है। उसके बाद यह आपके परफॉरमेंस के ऊपर निर्भर करता है।
ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनने के लिए क्या करना पड़ता है?
ऑटोमोबाइल engineering सीखने के आप 10th और 12th के बाद mechanical brach से डिप्लोमा कोर्स (Poly) कर सकते हो या आईटीआई से मोटर mechanic का कोर्स कर कर सकते हो, अगर आप ऑटोमोबाइल से डिग्री लेना चाहते हो तो आप automobile engineering से btech,mtech कर सकते हो।
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हे दोस्तों, मेरा नाम गोविन्द है में इस ब्लॉग GtechHindi का फाउंडर और सीनियर एडिटर हूँ। मैं By Profession ऑटोमोबाइल इंजीनियर हूँ और By Passion डिजिटल मार्केटिंग और ब्लॉग्गिंग करता हूँ जो की मेरा शौक है।
मेरे शौक के बारे में – मुझे सोशल मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग, इंटरनेट, कंप्यूटर और इंजीनियरिंग कला में रुचि है। मैं हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश करता हूं, क्योंकि अगर आपके पास ज्ञान है कुछ नया कर सकते हैं।
“मंजिल तो मिल ही जाएगी, भटक के ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं”
” be the best version of yourself”