इंजन को गाड़ी का धड़कन कहा जाता है। बिना इंजन के कोई भी vehicle move नहीं कर सकता है। ज़्यादातर दो प्रकार के इंजन उपयोग आज के समय में व्हीकल में किया जाता है। पेट्रोल इंजन और डीजल इंजन । तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम petrol इंजन की कार्य सिद्धांत के बारे में बात करने वाले हैं डीजल इंजन के बारे में हमने पिछली पोस्ट में आपको बताया है कि डीजल इंजन कैसे कैसे कार्य करता है और उसका वर्किंग प्रिंसिपल क्या है । तो अगर आप भी जानना चाहते हो कि पेट्रोल इंजन का सिद्धांत क्या है और किस प्रिंसिपल पर पेट्रोल इंजन कार्य करता है तो इस आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़े हैं आपको काफी सारी इनफार्मेशन इस आर्टिकल से मिलने वाली है ।
पेट्रोल इंजन क्या है?
petrol इंजन को एसआई इंजन मतलब स्पार्क ignition में इंजन भी कहा जाता है। petrol इंजन इंटरनल कॉम्बस्शन इंजन का एक प्रकार है जिसमें ऊर्जा प्राप्त करने के लिए फ्यूल पेट्रोल और हवा का उपयोग किया जाता है। सबसे पहले पेट्रोल इंजन का आविष्कार निकोलस auguest ऑटो द्वारा 1876 में किया गया था। पेट्रोल इंजन ऑटो साइकिल के सिद्धांत पर कार्य करता है।
petrol इंजन में स्पार्क प्लग का उपयोग किया जाता है क्योंकि cylinder चेंबर के अंदर petrol और हवा के मिश्रण को जलाने के लिए स्पार्क plug की जरूरत पड़ती है।
दोस्तों petrol इंजन और डीजल इंजन की कार्यप्रणाली लगभग 90% सामान होती है। चलिए जानते हैं पेट्रोल इंजन की कार्य प्रणाली।
1 – suction stroke
इस स्टॉक में इंजन का पिस्टन ऊपर से नीचे की तरफ को मोमेंट करता है इसी के साथ इनलेट वाल्व ओपन होता है और फ्यूल और एयर का मिक्सर सिलेंडर के अंदर पिस्टन द्वारा खींचा जाता है। suction स्टॉक के समय इनलेट वाल्व ओपन रहता है और एग्जॉस्ट valve बंद रहता है। suction stroke कंप्लीट होने के बाद compression स्ट्रोक स्टार्ट होता है।
2 – compression stroke
suction stroke खत्म होने के बाद पिस्टन नीचे से ऊपर की ओर मोमेंट करता है और ईयर फ्यूल के मिक्सर को कंप्रेस करता है इस दौरान intake valve और exhaust value दोनों ही बंद रहते हैं। कंप्रेसर स्ट्रोक के दौरान एयर फ्यूल का टेंपरेचर और प्रेशर काफी ज्यादा बढ़ जाता है इसके बाद स्पार्क plug की मदद से स्पार्क करके cylinder के अन्दर ब्लास्ट किया जाता है जिससे power स्टॉक शुरू होता है।
3 – पावर स्ट्रोक
पावर स्ट्रोक के समय पिस्टन ऊपर से नीचे की ओर मोमेंट करता है और crankshaft से जुड़ा होने के कारण crankshaft rotate होती है। जिससे इंजन को पावर मिलती है।इसीलिए ऐसे पावर स्ट्रोक भी कहते हैं।
4 -exhaust स्ट्रोक
इस स्ट्रोक में, पिस्टन ऊपर की ओर बढ़ता है मतलब TDC से BDC की तरफ मूव करता है। आउटलेट वाल्व खोलता है और सिलिंडर चैम्बर से बेकार गैसों को बाहर छोड़ता है। एग्जॉस्ट स्ट्रोक पूरा करने के बाद, पिस्टन फिर से नीचे चला जाता है, और फिर से पहले स्ट्रोक से साइकिल शुरू होती है।
स्पार्क-इग्निशन इंजन के मुख्य parts नीचे दिए गए हैं:
- स्पार्क प्लग
- cylinder chamber
- कैब्युरटर
- पिस्टन
- कनेक्टिंग rod
- inlet or outlet valve
पेट्रोल engine और डीज़ल इंजन में मुख्य अन्तर
पेट्रोल इंजन और डीजल इंजन में सबसे मुख्य अंतर। पेट्रोल इंजन में स्पार्क प्लग का यूज किया जाता है जबकि डीजल इंजन में स्पार्क प्लग का यूज नहीं किया जाता है।
पेट्रोल इंजन में FIP फ्यूल injection pump का उपयोग नहीं किया जाता है जबकि डीजल इंजन में फ्यूल इंजेक्शन पंप का उपयोग किया जाता है।
पेट्रोल इंजन का कंप्रेशन रेशों कम होता है डीजल इंजन का compression ratio पेट्रोल इंजन से ज्यादा होता है। इसलिए डीज़ल engine मे स्पार्क plug उपयोग नहीं किया जाता है।
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने जाना पेट्रोल इंजन के कार्य सिद्धांत में ,तो दोस्तों उम्मीद है आपको पेट्रोल इंजन का कार्य सिद्धांत के बारे में जानकारी मिल चुकी होगी है अगर अभी भी आपके कोई सवाल हैं तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।
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“मंजिल तो मिल ही जाएगी, भटक के ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं”
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