दोस्तों ऑटोमोबाइल सेक्टर में इंजन की सबसे मुख्य भूमिका होती है इंजन से ही गाड़ी को पावर मिलती है। इंजन गाड़ी का धड़कन होता है तो इंजन में दो प्रकार के इंजन सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है पेट्रोल इंजन और डीजल डीजल इंजन। अगर आपके पास भी अपनी कोई गाड़ी है चाहे वह डीजल हो या पेट्रोल आपके मन में भी कभी ना कभी यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर पेट्रोल इंजन और डीजल इंजन में क्या अंतर होता है और क्या होगा अगर पेट्रोल इंजन में डीजल डाल दिया जाए और डीजल इंजन में पेट्रोल डाल दिया जाए तो क्या हमारी गाड़ी चलेगी और क्या इसके परिणाम हो सकते हैं।
तो दोस्तों आज किस आर्टिकल में हम जानने वाले हैं पेट्रोल इंजन डीजल इंजन में क्या अंतर होता है और क्या होगा अगर आप डीजल इंजन में पेट्रोल डाल दें और अगर पेट्रोल इंजन में डीजल डाल दे तो जानने के लिए इस आर्टिकल को लास्ट तक पूरा पढ़े आपको इस आर्टिकल में काफी इंफॉर्मेशन मिलने वाली है।
पेट्रोल इंजन क्या होता है
petrol इंजन का उपयोग ज्यादातर हल्के वाहन जैसे स्कूटर कार और मशीनों में किया जाता है। petrol इंजन इंटरनल कॉम्बस्शन इंजन होता है petrol इंजन को स्पार्क इग्निशन इंजन भी कहा जाता है या गैसोलीन इंजन भी कहा जाता है। petrol इंजन का आविष्कार सन 1876 में यूरोप में किया गया था उस समय पेट्रोल इंजन में काफी ज्यादा खामियां थी लेकिन समय के साथ-साथ इसमें इंप्रूवमेंट होता गया आज के समय में काफी बदलाव हो चुके हैं। petrol इंजन में फ्यूल और ईयर को कंप्रेशन से पहले ही कार्बोरेटर की मदद से मिक्स करके स्पार्क प्लग की मदद से cylinder के अंदर ब्लास्ट कराया जाता है।
पेट्रोल इंजन में यह प्रक्रिया 4 स्टेज में सम्पूर्ण होती है?
पहला स्टेज होता है suction stroke- इस स्ट्रोक में engine का इनलेट वाल्व ओपन होता है और exhaust value बंद रहता है और पिस्टन द्वारा fuel और ईयर के मिक्सर को सिलेंडर के अंदर खींचा जाता है।
दूसरा स्टेज होता है कंप्रेशन स्ट्रोक – इसमें ईयर और फ्यूल के मिक्सर को crankshaft और Piston की मदद से कंप्रेस किया जाता है।
तीसरा स्टेज होता है पावर stroke – दूसरे स्टेज में ईयर और फ्यूल के मिक्सर को कंप्रेस होने के बाद इसको स्पार्क plug की मदद से ब्लास्ट कराया जाता है इसमें हमारा पावर जनरेट होता है पिस्टन ऊपर से नीचे की ओर मूव होता है और पिस्टन connecting रोड की मदद से crankshaft से जुड़ा होता है जिससे crankshaft rotate होती है और हमारे इंजन को पावर मिलती है।
चौथा स्टेज होता है एग्जॉस्ट stroke- इस स्टेज में जो गैस होती है उनको बाहर छोड़ा जाता है इसमें इनलेट वाल्व बंद रहता है और एग्जास्ट वाल्व ओपन हो जाता है और जो ब्लास्ट के बाद गैस बनती है जो धुआं होता है उसको बाहर छोड़ा जाता है पिस्टन नीचे से ऊपर की ओर मूव करता है जिससे धुआं cylinder से बाहर की ओर निकल जाता है।
डीजल इंजन क्या होता है।
डीजल इंजन का उपयोग ज्यादातर ट्रक ,bus train और भारी वाहनों में किया जाता है। डीज़ल इंजन भी एक प्रकार का इंटरनल कॉम्बस्शन इंजन होता है इसमें फ्यूल के रूप में डीजल का उपयोग किया जाता है। डीजल इंजन में पहले हवा को कंप्रेस किया जाता है उसके बाद डीजल को इंजेक्टर की मदद से cylinder के अंदर इंजेक्ट किया जाता है और उसके बाद इसमें स्वयं ब्लास्ट होता है जिससे इंजन में पावर मिलती है। डीजल इंजन का आविष्कार सबसे पहले 1893 में जर्मनी में किया गया था उस समय केवल डीजल इंजन का उपयोग train में किया जाता था।
डीजल इंजन में भी यह प्रक्रिया पेट्रोल इंजन की तरह चार स्टेज में संपूर्ण होती है।
पहला स्टेज होता है suction stroke- इस स्ट्रोक में Piston cylinder के अन्दर ऊपर से नीचे और मूव करता है इसमें inlet valve open होता है exhaust valve close रहता है cylinder के अंदर है air आने के बाद दूसरा स्टेज compression शुरू होता है।
दूसरा स्टेज compression stroke- इसमें पिस्टन सिलेंडर के अंदर नीचे से ऊपर की ओर मूव करता है और इनलेट और एग्जॉस्ट दोनों वाल्व बंद रहते हैं जिससे इंजन सिलेंडर के अंदर एयर कंप्रेसर होती है एयर कंप्रेसर होने के कारण इसका तापमान और प्रेशर दोनों बढ़ जाता है इसके बाद शुरू होता है तीसरा स्टेज।
तीसरा स्टेज होता है पावर stroke- दूसरे स्टेज में एयर कंप्रेसर होने के बाद power stroke के शुरू होते समय डीजल को इंजेक्टर के माध्यम से स्प्रे फॉर्म में cylinder के अंदर inject किया जाता है। हवा के हाई प्रेशर और हाई टेंपरेचर होने के कारण इसमें जैसे ही डीजल को इंजेक्ट किया जाता है या तुरंत ही ब्लास्ट हो जाता है और इसके बाद पिस्टन ऊपर से नीचे की ओर मोमेंट करता है पिस्टन कनेक्टिंग रोड की मदद से crankshaft से जुड़ा होता है जिसे crankshaft रोटेट होती है और इंजन को पावर मिलती है।
चोथा स्टेज होता है exhaust stroke- इसमें इनलेट वाल्व बंद रहता है और exhaust value ओपन हो जाता है और ब्लास्ट होने के बाद जो धुआँ बनता है उसको बाहर की ओर निकाल देता है Piston नीचे से ऊपर की ओर मूव करता है जिससे धुँआ बाहर निकल जाता है।
पेट्रोल इंजन डीजल इंजन में अंतर | difference Between petrol engine and diesel engine
दोस्तों के चलिए जानते हैं पेट्रोल इंजन डीजल इंजन में मुख्यतः क्या क्या अंतर है?
- petrol इंजन में ईधन तौर पर पेट्रोल का उपयोग किया जाता है जबकि डीजल इंजन में ईधन के रूप में डीजल का उपयोग किया जाता है।
- पेट्रोल इंजन का उपयोग हल्के वाहनों जैसे स्कूटर कार में किया जाता है जबकि डीजल इंजन का उपयोग भारी वाहनों जैसे बस ट्रक और ट्रेन में किया जाता है।
- petrol इंजन में ईयर और fuel को मिक्स करने के लिए कार्बोरेटर का उपयोग किया जाता है जबकि डीजल इंजन में फ्यूल इंजेक्शन पंप ओर injector का उपयोग किया जाता है।
- petrol इंजन में स्पार्क प्लग का उपयोग किया जाता है जबकि डीजल इंजन में किसी प्रकार का स्पार्क प्लग का उपयोग नहीं किया जाता है।
- पेट्रोल इंजन में पावर और torque कम मिलता है डीजल इंजन में पावर और torque ज्यादा होता है पेट्रोल इंजन के मुकाबले।
- petrol engine का working principles atto cycle पर work करता है। जबकि डीजल इंजन का वर्किंग प्रिंसिपल डीजल इंजन साइकिल पर करता है।
- पेट्रोल इंजन में ईयर और फ्यूल के मिक्सर को एक साथ कंप्रेस किया जाता है। जबकि डीजल इंजन में केवल एयर को पहले compress किया जाता है फिर फ्यूल को इंजेक्ट किया जाता है।
- पेट्रोल इंजन को स्पार्क इग्निशन इंजन कहा जाता है क्योंकि इसमें स्पार्क प्लग का उपयोग किया जाता है डीजल इंजन को सेल्फी ignition इंजन कहा जाता है क्योंकि इसमें स्पार्क plug की जरूरत नहीं होती है ।
- पेट्रोल इंजन का कंप्रेशन रेशों 7 से 10 तक होता है जबकि डीजल इंजन का कंप्रेशन रेशों 11 से 20 तक होता है। पेट्रोल इंजन का कंप्रेशन रेशों कम होता है डीजल इंजन के मुकाबले।
- पेट्रोल इंजन में फ्यूल की ज्यादा खपत होती है जबकि डीजल इंजन में पेट्रोल के मुकाबले फ्यूल की कम खपत होती है।
- पेट्रोल इंजन में आवाज और वाइब्रेशन कम होती है डीजल इंजन के मुकाबले।
- पेट्रोल इंजन की रनिंग कॉस्ट ज्यादा होती है डीजल इंजन की रनिंग कॉस्ट कम होती है।
अब दोस्तों में बात करते हैं क्या होगा अगर आपने गलती से डीजल इंजन में पेट्रोल डाल दिया और पेट्रोल इंजन में डीजल डाल दिया ।
दोस्तों अगर आप गलती से पेट्रोल इंजन में डीजल डाल देते हो और डीजल इंजन में पेट्रोल डाल देते हो तो इससे आपका इंजन डैमेज हो सकता है। फ्यूल टैंक के बाद सबसे पहले पार्ट होता है फ्यूल फिल्टर अगर आप डीजल की जगह पेट्रोल डाल दोगे या पेट्रोल की जगह डीजल डाल दोगे तो सबसे पहले फिर फिल्टर चौक हो जाएगा क्योंकि डीजल और पेट्रोल फ्यूल फिल्टर अलग अलग होता है। दूसरा अगर फ्यूल फिल्टर से पास हो जाता है तो इंजन स्टार्ट होने में दिक्कत करेगा और अगर स्टार्ट हो भी जाता है तो गाड़ी कुछ समय चलने के बाद झटके मारने स्टार्ट कर देगी और एक समय के बाद गाड़ी बंद हो जाएगी।
निष्कर्ष – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने जाना की petrol इंजन और डीजल इंजन में अंतर क्या है। हमने काफी सरल शब्दो में समझाने की कोशिस की है उम्मीद है आपको यह आर्टिक्ल इन्फ्रोमैटिव लगा होगा अगर अभी भी आपके कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में टाइप कर सकते हो।
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हे दोस्तों, मेरा नाम गोविन्द है में इस ब्लॉग GtechHindi का फाउंडर और सीनियर एडिटर हूँ। मैं By Profession ऑटोमोबाइल इंजीनियर हूँ और By Passion डिजिटल मार्केटिंग और ब्लॉग्गिंग करता हूँ जो की मेरा शौक है।
मेरे शौक के बारे में – मुझे सोशल मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग, इंटरनेट, कंप्यूटर और इंजीनियरिंग कला में रुचि है। मैं हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश करता हूं, क्योंकि अगर आपके पास ज्ञान है कुछ नया कर सकते हैं।
“मंजिल तो मिल ही जाएगी, भटक के ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं”
” be the best version of yourself”