फ्यूचर ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया- 2030 तक

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दोस्तों जैसा की सभी को पता है की अब सरकार और सभी लोग दिनप्रतिदिन हो रहे प्रदूषण को रुकने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ रुख कर रहे है तो ज़्यदातर लोगो के मन में सवाल है की electric vehicle का फ्यूचर आखिर क्या होने वाला है तो दोस्तों इस लेख में हम आपको ऐसी टॉपिक पर जानकारी देने वाले है की electric vehicle का फ्यूचर क्या होने वाला है। तो अगर आप भी जानना चाहते हो की आखिर इलेक्ट्रिक व्हीकल का फ्यूचर इंडिया में क्या होने वाला है तो इस आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़े –

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इलेक्ट्रिक कार का भविष्य क्या है| electric vehicle future in india

इलेक्ट्रिक कार को ग्रीन कार भी कहा जाता है क्योंकि इस कार से प्रदूषण नहीं होता। इलेक्ट्रिक कार बैटरी से चलने वाली कार है यह कार बैटरी की इलेक्ट्रिक पावर द्वारा कार में लगी मोटर से चलती है जो कार को स्पीड देने में मदद करती है। बैटरी खत्म हो जाने पर यह फिर से चार्ज की जा सकती है इसके चार्जर के द्वारा चार्ज किया जाता है इस कार में बैटरी लगी होती है और यह बिजली से चार्ज होती है इसलिए इसे इलेक्ट्रिक कार कहा जाता है।

इलेक्ट्रिक कार में 3 phase Induction मोटर लगी होती है जो बहुत पावरफुल होती है और यह मोटर AC पावर से चलती है ताकि बैटरी से आने वाली डीसी पावर को एसी पावर में बदल सके! AC Induction motor को उपयोग में लाने के लिए बहुत से कारण है AC induction motor और पेट्रोल या डीजल इंजन की तुलना करने पर पाएंगे कि AC Induction motor बहुत ही अधिक बेहतर है।

आजकल Induction motor के बदले IPM Synrm motor का इलेक्ट्रिक का उपयोग किया जा रहा है। Induction motor की तुलना में IPM Synrm motor 10% से 15% ज्यादा पावर देती है। Induction motor को हाई स्पीड में ले जाने पर back emf उत्पन्न होती है जो motor की efficiency और torque को भी प्रभाव करती है। यही कारण है कि आजकल Synrm motor को इलेक्ट्रिक का उपयोग किया जाता है।

इंडिया में इलेक्ट्रिक कार का भविष्य-

दोस्तों electric vehicle का फ्यूचर भारत में क्या होने वाला है इस बात का अंदाजा आप इन आंकड़ों से लगा सकते हो –

  • ग्लोबल की अगर बात करे तो इलेक्ट्रिक व्हीकल का मार्किट 21.7% CAGR से बढ़ रही है।
  • एक स्टडी के अनुसार वर्ष 2021 में 39.21 मिलियन इलेक्ट्रिक व्हीकल की बिक्री हुए थी।
  • 2022 में भारत में पहले ही 4.19 लाख ईवी की बिक्री हो चुकी है। यह संख्या 2020 में मात्र 1.19 लाख थी।

इंडिया का ऑटोमोबाइल सेक्टर दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उद्योग है और अनुमान के मुताबिक 2030 तक यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उद्योग बनने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय ईवी उद्योग आने वाले समय में 36% के सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। 

जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है उतनी ही तेजी से वाहनों की मांग बढ़ रही है, अब पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों पर निर्भर रहना एक स्थायी विकल्प नहीं होगा क्योंकि भारत अपनी कच्चे तेल की आवश्यकताओं का लगभग 80% आयात करता है। नीति आयोग का लक्ष्य 2030 तक सभी वाणिज्यिक कारों के लिए 70%, निजी कारों के लिए 30%, बसों के लिए 40% और दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए 80% ev का मार्किट हासिल करना है। भारत के उद्योग मंत्रालय के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में, भारत में 0.52 मिलियन ईवी पंजीकृत किए गए थे।इलेक्ट्रिक व्हीकल ने 2021 में मजबूत वृद्धि दर्ज की, सरकार द्वारा अनुकूल नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन द्वारा समर्थित।

इलेक्ट्रिक कार का भविष्य काफी चीजों पर निर्भर करता है आइए में कौन-कौन सी चीजें हैं हम आपको विस्तार से बताएंगे। electric vehicle की इंडस्ट्री अभी धीरे-धीरे ऊपर उठ रही है।  इलेक्ट्रिक कार का भविष्य इन 6 fact पर निर्भर करती है।

कार की प्राइस मार्केट-

  • किसी भी कार की प्राइस की बात करें तो उसकी टोटल और ओनरशिप कॉस्ट से पता चलता, ना कि परचेज कॉस्ट पर परचेज कॉस्ट किसी भी प्रकार की स्टार्टिंग कॉस्ट होती है Purchase Cost – यह किसी भी कार की स्टार्टिंग कॉस्ट होती है जब हम कार को खरीदते हैं तो उस समय में यह खर्च होती है।
  • Maintenance Cost – यह खर्च उस समय करनी पड़ती है जब हम कार को खरीद कर चलाने के कुछ समय बाद उसकी मेंटेनेंस के लिए जो खर्च हमको करना पड़ता है वह मेंटेनेंस कॉस्ट होती है।
  • Fuel Cost – इस खर्च में हम कार को चलाने के लिए फ्यूल भरते हैं।
  • Service Cost -किसी भी कार की सर्विस में होने वाले खर्च को सर्विस कॉस्ट कहते हैं यानी कि सर्विस खर्च कहते है!
  • इसी तरह की cost को मिलाकर टोटल ओनरशिप कॉस्ट निकलता है और टोटल ओनरशिप कॉस्ट से ही हमें पता चलता है कि किसी कार के पीछे अपना टोटल कितना पैसा खर्च होता है, अगर इलेक्ट्रिक कार की टोटल ओनरशिप कॉस्ट की बात करें तो पेट्रोल और डीजल कार के बराबर इलेक्ट्रिक कार का बहुत ही कम खर्चा है।

 इलेक्ट्रिक कार की purchase कॉस्ट –

electric vehicle की परचेज कॉस्ट के बारे में बात करें तो जैसी मार्केट रहेगी वैसे उसकी कीमत रहेगी। अगर हम भारतीय बाजार की बात करें तो यहां 5 लाख से 20 लाख तक की कीमत वाली कार को अधिकांश लोग लेते हैं। भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक कार में GST 12% से घटाकर मात्र 5% का रखा है और साथ में सब्सिडी भी मिल रहा है। इन सब के बावजूद भी एक अच्छी इलेक्ट्रिक कार भारतीय बाजार में लगभग 14 लाख से 16 लाख रूपए के बीच में आपको मिल जाएगी इसके मुकाबले पेट्रोल इंजन वाली कार बहुत ही सस्ती कीमत पर मिलती है।

electric vehicle की कीमत उसकी बैटरी की वजह से बहुत महंगी है। क्योंकि भारत बैटरी की आयात के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है फिर भी पिछले 10 से 12 सालों में बैटरी की कीमत में काफी गिरावट देखने को मिली है। आने वाले समय में इससे भी एडवांस न्यू बैट्री टेक्नोलॉजी आने पर इलेक्ट्रिक कार की कीमत में और भी गिरावट देखी जा सकती है क्योंकि इलेक्ट्रिक कार इंडस्ट्री अभी स्टार्टिंग लेवल पर है नई नई टेक्नोलॉजी आना अभी बाकी है इसलिए electric vehicle का भविष्य जबरदस्त होने वाला है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल की Fuel Availability –

इलेक्ट्रिक कार एक बैटरी से चलने वाली कार है इसलिए इसको चार्ज स्टेशन है चार्जिंग प्लग की जरूरत होती है। इलेक्ट्रिक कार को घर में भी चार्ज कर सकते हैं भारत में अभी electric vehicle चार्जिंग स्टेशन पैट्रोल पंप की तुलना में बहुत ज्यादा कम है इसलिए कई कंपनियां electric vehicle फास्ट चार्जिंग स्टेशन बनाने का काम कर रही है। भारत सरकार हाल ही में बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी को भी लाया है जिसके फलस्वरूप आप चार्जिंग स्टेशन में अपनी डिस्चार्ज बैटरी को लेकर दूसरी full चार्ज बैटरी को ले सकते हैं। electric vehicle का भविष्य के लिए यह फैक्टर बहुत ही जरूरी है चार्जिंग में लगने वाला समय बहुत बड़ा फैक्टर है और आने वाले समय में यह समस्या शायद देखने को नहीं मिले, बहुत सी बड़ी-बड़ी कंपनियां इस मामले में काम कर रही है

इलेक्ट्रिक कार की Fuel Cost और Running Cost –

इलेक्ट्रिक कार को एक सिंगल चार्ज में लगने वाली कीमत पेट्रोल या डीजल कार की तुलना में बहुत ही कम है। एक सिंगल चार्ज में इलेक्ट्रिक कार एवरेज 300km तक हो सकता है और एक सिंगल चार्ज में लगने वाली एवरेज कीमत ₹210 अगर ₹7 प्रति यूनिट बिजली के हिसाब से देखें। वही पेट्रोल से चलने वाली कार की बात करें तो एवरेज 15 kms /लीटर माइलेज देती है तो 300km तक जाने के लिए आपको एवरेज 1500से 2000 रुपए खर्च करने होंगे।

इलेक्ट्रिक कार की Energy Efficiency –

Energy Efficiency की बात करें तो इलेक्ट्रिक कार की Efficiency 80%से 90% तक की है। जहां पेट्रोल और डीजल इंजन की energy Efficiency मात्र 40%है। इलेक्ट्रिक कार का Efficiency high speed पर भी बेहतर बना रहता है वंही पेट्रोल कार की बात करें तो हाई स्पीड पर Efficiency घट जाती है।

EV कार की परफॉर्मेंस पेट्रोल और डीजल इंजन कार से कितना बेहतर है

परफॉर्मेंस में इलेक्ट्रिक कार पैट्रोल कार से बहुत आगे निकल चुकी है इलेक्ट्रिक कार easy or smooth drive है। पेट्रोल और इंजन वाली कार एक सीमित गति यानी (RPM limit speed) सीमा के अंदर ही torque और पावर को उत्पन्न करती है। वंही इसके मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल में आपको ज़्यदा टार्क और पावर देखने को मिलेगी।

इलेक्ट्रिक व्हीकल का Environment पर असर –

electric vehicle डायरेक्ट पर्यावरण को प्रदूषित तो नहीं करती क्योंकि electric vehicle से कोई हानिकारक धुआँ नहीं निकलता, और ना ही इलेक्ट्रिक कार से ध्वनि प्रदूषण होता। लेकिन अभी इलेक्ट्रिक कार की बैटरी लिथियम आयन से बनी है जिसकी लाइफ कार के लिए 6 से 8 साल की होती है तो इसकी लाइफ खत्म होने के बाद इसको यदि हम कहीं फेंक देते हैं तो यह पर्यावरण को प्रदूषित करेगा इसलिए इसको रीसाइक्लिंग करना बहुत जरूरी है। भविष्य में पूरे भारत में इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने के लिए यदि कोयले जैसे इंजन से चलने वाली थर्मल पावर प्लांट पर ही निर्भर रहेंगे तो अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं पर्यावरण को प्रदूषित करेंगे। इसीलिए electric vehicle को चार्ज करने के लिए न्यू एडवांस टेक्नोलॉजी की जरूरत है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्किट में नए बिज़नेस के अवसर

दोस्तों मार्किट में इलेक्ट्रिक व्हीकल आने से केवल हमारे पर्यावरण को ही फायदा नहीं होगा बल्कि सभी लोगो को इसका फायदा मिलने वाला है। electric vehicle मार्किट बढ़ने से नए बिज़नेस और रोजगार के अवसर मिलेंगे। इनमें ईवी फ्रैंचाइज़ि, बैटरी इंफ्रास्ट्रक्चर, सोलर व्हीकल चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग टेक्नोलॉजी सहित कई अन्य क्षेत्र शामिल हैं। नीति आयोग के अनुसार, electric vehicle में पूर्ण बदलाव के लिए ईवी, बैटरी इंफ्रास्ट्रक्चर और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में कुल 267 बिलियन अमेरिकी डॉलर (19.7 लाख करोड़ रुपये) के निवेश की आवश्यकता है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के अनुसार, electric vehicle उद्योग 2030 तक 10 मिलियन प्रत्यक्ष नौकरियां जोड़ सकता है जो इस क्षेत्र में 50 मिलियन अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करेगा। 

आजकल जिस तरह टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है और जिस तरह से कंपनी और सरकार इलेक्ट्रिक वाहन की दिशा में अग्रसर दिख रही है इसके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन के क्षेत्र में यदि न्यू टेक्नोलॉजी का आविष्कार होता है तो यह सभी समस्या को खत्म किया जा सकता है और सभी इलेक्ट्रिक वाहन पूरी तरह से Eco – friendly और user – Friendly बन पाएगा, इलेक्ट्रिक कार का भविष्य के लिए यह बहुत जरूरी है

इलेक्ट्रिक व्हीकल से सम्बंधित चुनौतियां

सरकारी कंपनी के द्वारा यह अनुमान लगाया गया है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल को आने वाले समय में अपने लाइफस्टाइल के साथ जोड़ने के लिए हमें कई तरह की चुनौतियां का भी सामना करना होगा. जिसकी चर्चा हमने नीचे की हुई है,

बैटरी बनाने की चुनौतियां : सरकारी विभागों द्वारा आकलन किया गया है कि वर्ष 2020-30 तक भारत की बैटरी की निर्माण की मांग लगभग 900-1100 GWh होगी। लेकिन मौजूदा समय में भारत में बैटरियों के लिये एक विनिर्माण आधार की अनुपस्थिति आने वाले समय में काफी बड़ी चिंता का विषय बन सकती है, क्योंकि बढ़ती हुई मांग की पूर्ति के लिये पूर्णतः आयात पर ही निर्भर रहना पड़ता है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, भारत ने वर्ष 2021 में 1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के लिथियम- आयन सेल्स का आयात किया जबकि मौजूदा समय में देखे तो अभी पावर सेक्टर में इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी भंडारण की मांग काफी ना के बराबर ही है।

उपभोक्ता संबंधी मुद्दे: वर्ष 2018 की बात करे तो भारत में केवल 650 चार्जिंग स्टेशन ही उपलब्ध थे, जो पड़ोसी समकक्ष देश (चीन) की तुलना में पर्याप्त कम है, जहाँ पर मौजूदा समय में 5 मिलियन से अधिक चार्जिंग स्टेशन संचालित थे. भारत में चार्जिंग स्टेशनों की कमी के कारण उपभोक्ताओं के लिए लंबी दूरी की यात्रा करना नामुमकिन ही हो जाता है। इसके अलावा, अगर आप एक निजी लाइट-ड्यूटी स्लो चार्जर का उपयोग कर घर पर इलेक्ट्रिक वाहन को फुल चार्ज करने में 12 घंटे तक का समय लग जाता है। वहीं इस समय एक बेसिक इलेक्ट्रिक कार की लागत पारंपरिक ईंधन से संचालित कार की औसत लागत से बहुत अधिक है।

नीतिगत चुनौतियाँ: EV उत्पादन एक अपना बिज़नेस करने के लिए आपको इस क्षेत्र में काफी इन्वेस्टमेंट करने की जरुरत होती है जहाँ ‘ब्रेक ईवन’ की स्थिति और लाभ प्राप्ति के लिये एक दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता होती है, जबकि EV उत्पादन से संबंधित सरकारी नीतियों और उससे सम्बंधित फॉर्मलिटीज भी इस उद्योग में निवेश करने के लिए लोगो को हतोत्साहित करती है।

प्रौद्योगिकी और कुशल श्रम की कमी: भारत बैटरी, सेमीकंडक्टर्स, कंट्रोलर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन में हमेश से पिछड़ा हुआ है जबकि आपकी जानकारी के लिए बता दे कियह क्षेत्र EV उद्योग की रीढ़ साबित होतीहै। आज के समय में इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विसिंग लागत की बात करे तो यह काफीअधिक होती है. इस वाहनों को सर्विसिंग देने के लिए उच्च स्तर के कौशल की आवश्यकता होती है। भारत में मौजूदा समय में ऐसे कौशल विकास के लिये समर्पित प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का काफीअभाव है।

घरेलू उत्पादन के लिये सामग्री की अनुपलब्धता: बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे महत्त्वपूर्ण चीज है। भारत में लिथियम और कोबाल्ट का के सोर्स का कोई भंडार मौजूद नहीं है जो इलेक्ट्रिक वाहन के बैटरी उत्पादन के लिये काफी आवश्यक है। लिथियम-आयन बैटरी के आयात के लिये भी भारत को अन्य देशों पर निर्भरता बैटरी निर्माण क्षेत्र में भारत को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने में एक बाधा उत्पन करती है.

 निष्कर्ष (final words)-

दोस्तों इंडिया का ईवी उद्योग सरकार की पहल से धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है। पेट्रोल डीजल और कच्चे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि से लोग काफी ज़्यदा प्रभावित है इसलिए लोग अपने मासिक बिलों को कम करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रहे हैं। हालांकि अभी देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और बुनियादी सुविधाओं को तेजी से विस्तार करने की आवश्यकता है। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और अपनाने में सहायता के लिए सरकार द्वारा की गई कई पहलों से 2030 तक 100% ईवी अपनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

दोस्तों उम्मीद करता हूं आज के इस आर्टिकल में आपको इलेक्ट्रिक कार के बारे में काफी कुछ जानने को मिला होगा, अगर फिर भी आपके मन में इस से रिलेटेड कोई क्वेश्चन है तो आप मुझे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते है।

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